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आम का उत्पादन

केसर आम की विशेषताएं

केसर आम की विशेषताएं

फलों का राजा आम जिसकी विभिन्न विभिन्न प्रकार की किस्में मौजूद है। उन किस्मों में से एक किस्म केसर आम की है। गर्मियों का मौसम आते ही सबसे पहला नाम आम का आता है। लोग गर्मी को आम की वजह से पसंद करते है। क्योंकि गर्मी के मौसम में अलग अलग प्रकार की आम की किस्म आती है जिसे लोग बड़े शौक से खाते हैं। केसर आम से जुड़ी विशेषताओं के बारे में जानने के लिए हमारी इस पोस्ट के अंत तक जरूर बने रहे: 

केसर आम

केसर आम की खुशबू एकदम केसर जैसी होती है यह केसर आम स्वाद में बहुत ही मीठा होता है। केसर आम की मुख्य पैदावार जूनागढ़ और अमरेली जिले में मौजूद गिर्नार पर्वत के तलहटी में केसर आम का उत्पादन होता है। कहा जाता है कि केसर आम को भौगोलिक संकेत की भी प्राप्ति है। 

इस आम का नाम केसर आम क्यों पड़ा

प्राप्त की गई जानकारियों के अनुसार इस आम को केसर के नाम से इसलिए पुकारा जाता है। क्योंकि इस आम में केसर की खुशबू आती है इसीलिए इसका नाम केसर आम पड़ा। केसर आम की पैदावार उत्तर प्रदेश में बहुत ही ज्यादा मात्रा में होती है।

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केसर आम का इतिहास

कृषि विशेषज्ञों के अनुसार केसर आम को वजीर सेल भाई द्वारा वनथाली में उगाया गया था। सन 1931के करीब जूनागढ़ में केसर आम का उत्पादन किया गया था। केसर आम को गिरनार की तलहटी और जूनागढ़ के समीप लाल डोरी फॉर्म में 75 से 80 ग्राफ्ट तक लगाया गया था। केसर आम की पहचान और इसका नाम 1934 में केसर के रूप में लोगों के बीच जाना जाने लगा। मोहम्मद महाबत खान जो जूनागढ़ के नवाब कहे जाते थे। जब उन्होंने इस नारंगी और खूबसूरत फल को देखा , देखते ही उन्होंने कहा या तो केसर है। तब से इस आम को केसर के नाम से ही जाना जाता है। 

केसर आम का उत्पादन

हर साल केसर आम का उत्पादन लगभग 20,000 हेक्टेयर क्षेत्र की दर पर उगाया जाता है। केसर आम की इस उत्पादकता को गुजरात के सौराष्ट्र के जूनागढ़ तथा अमरेली जिले में उगाया जाता हैं। कृषि केंद्र परिषद के अनुसार केसर आम का वार्षिक उत्पादन करीबन दो लाख टन के समीप होता है। अभयारण्य क्षेत्र में केसर आम को गिर केसर आम के नाम से भी पुकारा जाता है। केसर आम की किस्म बाकी किस्मों से बहुत ही ज्यादा महंगी होती है

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केसर आम को जीआई टैग की अनुमति

केसर आम का भौगोलिक पंजीकरण का प्रस्ताव गुजरात के एग्रो इंडस्ट्रीज कॉरपोरेशन द्वारा रखा गया था। प्रस्ताव के स्वीकार हो जाने के बाद केसर आम को जीआई टैग की प्राप्ति हुई। जीआई टैग के तहत केसर आम को विभिन्न विभिन्न देशों में भेजा जा सकता है। जिसे स्कैन कर केसर आम का मुख्य पता और जानकारी जान सकेंगे। 

केसर आम का रोपण

केसर आम का वृक्ष रोपण करने से पहले किसान कुछ देर के लिए बीजों को डाइमेथोएट में डूबा कर रखते हैं। इस क्रिया द्वारा फसल में किसी भी तरह का कोई नुकसान नहीं होता और आम की फसल पूरी तरह से सुरक्षित रहती हैं। बीजों को थोड़ी थोड़ी दूरी पर रोपण करते हैं और हल्का पानी का छिड़काव करते हैं।

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केसर आम के लिए उपयुक्त जलवायु

केसर आम की खेती दो प्रकार की जलवायु में सबसे सर्वोत्तम होती है पहली उष्ण और दूसरी समशीतोष्ण जलवायु , दोनों ही जलवायु सबसे अच्छी जलवायु मानी जाती है केसर आम की खेती के करने के लिए। केसर आम की खेती के लिए तापमान करीब 23 .1 से लेकर 26 .6 डिग्री सेल्सियस सबसे उत्तम माना जाता है। केसर आम की खेती आप किसी भी तरह की भूमि में आराम से कर सकते हैं।

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केसर आम के लिए उपयुक्त सिचाई

केसर आम की फसल की सिंचाई लगभग एक से 2 दिन के अंतराल पर करनी चाहिए। केसर आम की फसल के लिए मिट्टी और जलवायु दोनों का खास ख्याल रखना चाहिए।बीच-बीच में लगातार हल्की हल्की सिंचाई करते रहे। हल्की सिंचाई लगातार करते रहने से अच्छा उत्पादन होता है। गर्मियों के मौसम में कम से कम 7 से 8 दिनों के भीतर सिंचाई करते रहना चाहिए। केसरआम जब पूर्ण रूप से विकसित हो जाए तब हल्की सिंचाई की आवश्यकता होती है।

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केसर आम की सप्लाई

पिछले साल की ही बात है केसर आम बहुत ही ज्यादा चर्चा में था। जब केसर आम मार्केट में आया था। तब इसका वजन लगभग 250 ग्राम से लेकर 400 ग्राम तक का था। अपनी इन खूबियों के चलते केसर आम मार्केट में बहुत ही ज्यादा लोकप्रिय हो गया था। लोगों में केसर आम की मांग काफी बढ़ गई थी कुछ ऐसे राज्य हैं जहां यह आम सप्लाई होने लगे थे। जैसे: कोलकाता , दिल्ली, हैदराबाद बेंगलुरु, रायपुर , आदि जगह केसर आम की सप्लाई तेजी से बढ़ने लगी। 

केसर आम खाने के फायदे

केसर आम खाने के बहुत सारे फायदे हैं और यह फायदे कुछ इस प्रकार है:
  • सबसे पहले बात इसके स्वाद की करे, तो केसर आम स्वाद में सबसे बेहतर होता है। इसमें केसर की भीनी खुशबू आती है और देखने में बहुत ही आकर्षित लगता है।
  • यदि आप केसर आम खाते हैं तो आपका चेहरा चमकता हुआ दिखाई देगा। रोजाना केसर आम खाने से चेहरे का ग्लो बढ़ता है स्किन सॉफ्ट रहती है।
  • केसर आम में मौजूद पोषक तत्व आपको गर्मी में लू लगने से बचाव करते हैं।
  • केसर आम में एंटीऑक्सीडेंट जैसे आवश्यक तत्व मौजूद होते हैं। यह आवश्यक तत्व हमारे शरीर को स्वस्थ रखते हैं।
  • हमारी पाचन क्रिया को मजबूत बनाते हैं आंखों की रोशनी को बढ़ाते हैं गिरते हुए बालों की समस्या को दूर करते हैं।
  • केसर आम का सेवन करने से हमारे शरीर का कोलेस्ट्रॉल काफी बेहतर रहता है। हमारे शरीर का वजन सामान्य रहता है।
  • किसानों को केसर आम की फसल से बहुत अच्छा मुनाफा होता है जिससे वह आय निर्यात की प्राप्ति कर लेते हैं।
दोस्तों हम उम्मीद करते हैं , आपको हमारा यह आर्टिकल केसर आम की विशेषताएं पसंद आया होगा। इस आर्टिकल में केसर आम से जुड़ी सभी प्रकार की आवश्यक बातें और जानकारियां मौजूद है। यदि आप हमारी दी गई जानकारियों से संतुष्ट है। तो हमारे इस आर्टिकल को ज्यादा से ज्यादा सोशल मीडिया और दोस्तों के साथ शेयर करें । धन्यवाद।

तोतापुरी आम की विशेषताएं

तोतापुरी आम की विशेषताएं

तोतापुरी आम, इस आम का नाम आपको सुनने में अजीब या अटपटा सा लग रहा होगा। तोतापुरी आम की विशेषताओं को जानने के लिए हमारी इस पोस्ट के अंत तक जरूर बने रहें। हम आपको अपनी इस पोस्ट में तोतापुरी आम के हर से पहलू से रूबरू करेंगे। 

तोतापुरी आम

आम की विभिन्न किस्मों में से सबसे बेहतरीन किस्म तोतापुरी आम की होती है। जो दिखने में हल्का केसरी रंग का होता है इसका ऊपरी हिस्सा केसरी रंग और नीचे का हल्का हरा दिखाई देता हैं। 

तोतापुरी आम बेहद ही खूबसूरत होता है। यह तो बात हुई इस आम की ऊपरी रंगत कि अब हम बात करते हैं। इसके स्वाद की तोतापुरी आम स्वाद में बेहद ही मीठा होता है। 

आम की किस्मों में इसकी जगह टॉप फाइव के अंदर आती है। तोतापुरी आम के गोदे बहुत ही मीठे होते हैं चीनी की तरह मुंह में घुल जाता है।

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आम की इस किस्म को तोतापुरी आम क्यों कहते हैं

यदि आपने कभी तोतापुरी आम को हाथ में लिया होगा तो आप खुद समझ गए होंगे। कि इसे तोतापुरी आम क्यों कहते हैं। यदि आप इस बात से अभी तक अपरिचित है तो हम आपको बताते हैं। 

कि इस आम को तोतापुरी आम क्यों कहा जाता है: जब आप तोतापुरी आम को अपने हाथ में लेंगे तो आपको दिखाई देगा। कि इसका आकार चिड़िया की चोंच की तरह दिखाई देता हैं और इसका नीचे का हिस्सा पलटने पर पूछ की तरह निकला हुआ होता है। 

इसकी आकृति पूरी तरह से तोते की मानें होती है और जब आम छोटे होते है तो यह पूरी तरह ही तोते के रूप में नजर आते हैं। 

बाकी बड़े होने पर इनकी आकृति थोड़ी बहुत बदल जाती है। परंतु यह पूर्ण रूप से तोता के रूप में दिखाई देते हैं इसीलिए इसे तोतापुरी आम के नाम से पुकारा जाता है।

तोतापुरी आम का वजन

तोतापुरी आम का वजन लगभग 400 के ग्राम के ऊपर होता है। यह स्वाद में अलग होने के साथ अपनी खूबी के लिए भी जाने जाते हैं। वजन के आधार पर या मार्केट में ऊंचे दाम पर बिकते हैं।

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तोतापुरी आम का उत्पादन

तोतापुरी आम की खेती साउथ इंडिया, तमिलनाडु, बेंगलुरु, कर्नाटक आदि शहरों में ऊंचे पैमाने पर होती है। तोतापुरी आम की फसल का उत्पादन इन सभी क्षेत्रों में हो रहा है। यहां तक कि पूर्वी उत्तर प्रदेश झारखंड या पश्चिमी बंगाल आदि शहरों में भी इनकी खेती शुरू हो गई है। 

तोतापुरी आम की खेती के लिए उपयुक्त भूमि का चयन

तोतापुरी आम की खेती के लिए सभी प्रकार की भूमि उपयुक्त होती है। तोतापुरी आम की खेती आप पहाड़ी पथरीली मिट्टी में भी कर सकते हैं। यह सभी भूमि तोतापुरी आम के लिए उपयुक्त मानी जाती हैं।

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तोतापुरी आम के लिए उपयुक्त मिट्टी का चयन

तोतापुरी आम के लिए सभी प्रकार की मिट्टी उपयुक्त होती हैं। लेकिन किसान जिस मिट्टी का चयन करते हैं वह दोमट मिट्टी होती है। 

तोतापुरी आम की खेती आप कड़ी और शुष्क दोनों प्रकार की भूमि में कर सकते हैं। जब वर्षा का मौसम करीब आ जाए, तब आपको इस बात का ख्याल रखना होगा। कि किसी भी प्रकार से पानी इकट्ठा ना हो, सड़न की समस्या ना पैदा हो। इसके लिए आपको जल निकास का प्रबंध पहले भी कर देना चाहिए।

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तोतापुरी आम की सिंचाई

तोतापुरी आम का बीज रोपण करने से पहले आपको दो से तीन बार सिंचाई कर लेनी चाहिए। आवश्यकतानुसार दो से 5 बार आप सिंचाई करते रहे। जब पेड़ों में फल आने शुरू हो जाए, तो दो से तीन बार सिंचाई करना अत्यंत आवश्यक होता है। 

तोतापुरी आम का इतिहास

तोतापुरी आम के इतिहास के विषय में प्राप्त के जानकारी के अनुसार सन 1901 में फ्लोरिडा द्वारा एक मैसेज के रूप में और करीब 1960 दशक में इस आम की किस्म को तोतापुरी के रूप में आयात करना शुरू हो गया था। 

तोतापुरी आम दो प्रकार की किस्में फ्लोरिडा और एंडरसन तथा ब्रूक्स किस्मों के जनक कहे जाते हैं। तोतापुरी भारत में अन्य आम की किस्मों में सबसे प्रमुख है। 

तोतापुरी आम का अचार

आचार जिसका नाम सुनते ही मुंह में पानी आ जाता है। अचार चाहे जिस भी प्रकार से बने हो चाहे वह मीठे हो, खट्टे हो, चटपटे हो सभी प्रकार के अचार खाने में बहुत ही स्वादिष्ट लगते हैं। 

अचार आप हर तरह से बना सकते है और हर प्रकार के आम का अचार बनता है। लेकिन सबसे अच्छा और बेहतर अचार तोतापुरी आम का होता है। क्योंकि तोतापुरी आम थोड़ा कम खट्टे होते हैं जिन्हें खट्टा कम पसंद हो उनके लिए तोतापुरी का अचार सबसे बेहतर होता है।

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तोतापुरी आम खाने के फायदे

तोतापुरी आम में विभिन्न प्रकार के आवश्यक तत्व मौजूद होते है। जिससे हमारे शरीर को लाभ पहुंचता है यह आवश्यक तत्व कुछ इस प्रकार है:

  • यदि आप तोतापुरी आम का सेवन करते हैं तो आपका पाचन तंत्र ठीक रहता है। आम में मौजूद प्रतिरोधक क्षमता हमारे शरीर को स्वच्छ रखती है।
  • तोतापुरी आम खाने से हमें विटामिन डी और विटामिन सी इन दो महत्वपूर्ण तत्वों की प्राप्ति होती है।
  • रोजाना तोतापुरी आम का सेवन करने से त्वचा चमकदार और स्वस्थ रहती है।
  • शरीर का वजन घटाने और कार्य की क्षमता को बढ़ावा देता है।
  • आजकल हेयर फॉल की समस्या हर किसी को होती है। हेयर फॉर की समस्या कहे तो आम हो गई है। इस समस्या से बचने के लिए हमें आम का सेवन करना चाहिए क्योंकि इसमें मौजूद आवश्यक तत्व हेयर फॉल की समस्या को रोकते हैं।
  • तोतापुरी आम की फसल किसानों के हित में आय का बहुत अच्छा साधन स्थापित करती है। कम लागत में किसान इस फसल से अच्छा फायदा उठा लेते हैं।

दोस्तों हम उम्मीद करते हैं, कि आपको हमारा यह आर्टिकल तोतापुरी आम की विशेषताएं पसंद आया होगा। हमने अपने इस आर्टिकल में तोतापुरी आम की खेती, तोतापुरी आम से होने वाले फायदे, तोतापुरी आम से जुड़ी हर प्रकार की आवश्यक और महत्वपूर्ण जानकारी अपने इस आर्टिकल में दी है।

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हिमसागर आम की विशेषताएं

हिमसागर आम की विशेषताएं

दोस्तों आम की विभिन्न प्रकार की किस्में मौजूद है और हर किस्म का अपना एक अलग स्थान है। उसी तरह एक किस्म हिमसागर आम (Himsagar Mango) की भी है, जो अपनी विशेषताओं के लिए जाना जाता है। हिमसागर आम से जुड़ी सभी आवश्यक बातों को जाने के लिए हमारे इस पोस्ट के अंत तक जरूर बने रहें।

हिमसागर आम

हिमसागर आम दिखने में पीला और नारंगी नजर आता है। इनका आकार काफी बड़ा होता है। यह वजन मे लगभग 250 ग्राम से लेकर 350 ग्राम तक के होते हैं हिमसागर आम मध्यम आकार के होते है। 

हिमसागर आम में लगभग गुदे की मात्रा 77% होती हैं। कहां जाता है कि हिमसागर आम की खूबियों के चलते इन्हें विभिन्न प्रकार की कविता और गानों से भी सम्मानित किया जाता है। सभी आमों की किस्मों में से हिमसागर आम की किस्म श्रेष्ठ मानी जाती है।

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हिमसागर आम का उत्पादन

हिमसागर आम का उत्पादन भारत के पश्चिम बंगाल तथा बांग्लादेश के राजशाही क्षेत्रों में उत्पादन होता है। अपने बेहतरीन स्वाद और खुशबूदार सुगंध के चलते हिमसागर आम को दुनिया भर में सभी आमो से ऊपर रखा गया है। और हिमसागर आम को आमोकाराजा भी कहा जाता है।

हिमसागर आम की फसल का बीज उपचार

हिमसागर आम की फसल की सुरक्षा करने के लिए आपको इसके बीज रोपण करने से थोड़ी देर पहले या कुछ मिनटों पहले इस फ़सल के उपचार के लिए डाइमेथोएट का उपयोग करना चाहिए। 

डाइमेथोएट से फसलों की सुरक्षा होती है। कैप्टन कवकनाशी के इस्तेमाल से फंगल संक्रमण से हिमसागर आम की फसल सुरक्षित रहती है।

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हिमसागर आम की बुआई का समय

किसान हिमसागर आम की बुआई का समय मह जुलाई और अगस्त के बीच का बताते हैं। हिमसागर आम का बीज रोपण आमतौर पर वर्षा वाले क्षेत्रों में इन 2 महीनों में होता है।

सिंचित क्षेत्रों में फरवरी और मार्च के बीच इनकी बुवाई की जाती है। जिन क्षेत्रों मे वर्षा बहुत ज्यादा मात्रा में होती है वहां इन बीजों की बुवाई बरसात के आखिरी महीने में होती है।

हिमसागर आम की फसल के लिए उपयुक्त जलवायु

किसानों के अनुसार हिमसागर आम की फसल के लिए सबसे उपयुक्त जलवायु उष्णकटिबंधीय तथा उपोष्णकटिबंधीय की होती हैं। कृषि विशेषज्ञों के द्वारा हिमसागर आम की फसल भारत देश में सभी क्षेत्रों में उगाई जाती है। 

किंतु 600 मीटर से ऊपर के क्षेत्रों में या फिर व्यवसायिक रूप से या फसल आप नहीं उगा सकते हैं। हिमसागर आम की फसल ज्यादा ठंड को अपने अंदर बर्दाश्त नहीं कर सकती हैं। जब पौधे नए हो तब तो खासकर फसल का ख्याल रखना होता है।

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हिमसागर आम की फसल की सिंचाई

जब हिमसागर आम के पौधे नए होते हैं। तब लगातार सिंचाई की जरूरत होती है। बाकी हिमसागर आम की फसल की सिंचाई मिट्टी के प्रकार और जलवायु पर निर्भर होती है। 

किसान भाइयों के अनुसार हल्की लगातार सिंचाई हर फसल के लिए बहुत ही ज्यादा सर्वोत्तम मानी जाती है। दो से तीन के अंतराल पर लगातार सिंचाई करते रहें।

हिमसागर आम की फसल के लिए उपयुक्त मिट्टी

वैसे तो हिमसागर आम की फसल के लिए हर तरह की मिट्टी उपयुक्त हैं। परंतु सबसे उपयुक्त मिट्टी दोमट मिट्टी कही जाती हैं। 

जब आप बीज रोपण करें, तो इस बात का ख्याल रखें। कि जल निकास की व्यवस्था उचित होनी चाहिए। ताकि किसी भी तरह का जलभराव ना हो जिससे कि फसल खराब हो जाए।

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हिमसागर आम के फायदे

हिमसागर आम अपने स्वाद और खुशबू के लिए जाना जाता हैं हिमसागर आम को आमो का राजा भी कहा जाता है। यही कारण है कि लोग इसे खाना बहुत ज्यादा पसंद करते।

  • कभी कभी उल्टा सीधा खाना खा लेने से कब्ज जैसी समस्या उत्पन्न हो जाती है। और यह समस्या बच्चे, बड़े, बूढ़े आदि सभी को होती है। ज्यादा दिन कब्ज की समस्या होना अच्छा नहीं है, इससे भिन्न प्रकार की बीमारियों का जन्म भी हो सकता है। हिमसागर आम में मौजूद विटामिन सी और फाइबर जैसे गुण पाचन शक्ति को मजबूत बनाते हैं। जिससे कब्ज जैसी भयानक समस्या से आप अपने शरीर का बचाव कर सकते हैं।
  • जब गर्मी का मौसम आता है तो खूब तेज धूप और साथ ही साथ भयानक लू चलती हैं। जिसकी वजह से व्यक्तियों को तेज बुखार या फिर सरदर्द जैसी विभिन्न प्रकार की समस्या उत्पन्न हो जाती हैं। कभी-कभी लू के चपेट में आ जाने से मृत्यु भी हो जाती है। ऐसी स्थिति में आपको कच्चे हिमसागर आम का पना बनाकर सेवन करना चाहिए जिससे आप अपने शरीर का बचाव करें।
  • आंखों की रोशनी समय के साथ कम होती रहती है। परंतु यदि आप रोजाना आम का सेवन करते हैं तो आपकी आंखों की रोशनी बढ़ती है। हिमसागर आम में मौजूद विटामिन ए की भरपूर मात्रा होती है। जिससे हमारी आंखों की रोशनी में और बढ़ोतरी होती है इसीलिए आप लगातार हिमसागर आम का सेवन करें।
  • हड्डियों को मजबूत बनाना बेहद ही जरूरी होता है। परंतु हमारे शरीर को उस प्रकार का आहार नहीं मिल पाता जिस प्रकार से हमारे शरीर को जरूरत होती है। हिमसागर आम में भरपूर मात्रा में आयरन मौजूद होता है, जो हमारी हड्डियों को मजबूत बनाता है।
  • हिमसागर आम में एंटीकैंसर जैसे आवश्यक गुण होते हैं जो विभिन्न विभिन्न प्रकार के कैंसर से शरीर का बचाव करते हैं।
  • हिमसागर आम पथरी के रोगियों के लिए बहुत उपयोगी होता है। क्योंकि इसमें विटामिन बी मौजूद होता हैं जिससे पथरी की समस्या दूर हो जाती है।
  • हिमसागर आम में मौजूद फाइबर से हमारे शरीर का वजन सामान्य रहता है। तथा बालों के लिए भी बहुत ही उपयोगी होता है, हृदय स्वस्थ रहता है।
  • हिमसागर आम में मौजूद एंटी-अस्थमैटिक गुण से दमा जैसे रोगों से भी बचाव होता है।

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दोस्तों हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा यह आर्टिकल हिमसागर आम की विशेषताएं पसंद आया होगा। हमारे इस आर्टिकल में हिमसागर आम से जुड़ी सभी प्रकार की आवश्यक जानकारियां मौजूद है। 

जैसे हिमसागर आम कहां उत्पादन होता है हिमसागर आम के आवश्यक तत्व, गुण आदि। यदि आप हमारी दी गई जानकारियों से संतुष्ट है तो हमारे इस आर्टिकल को ज्यादा से ज्यादा अपने दोस्तों और सोशल मीडिया पर शेयर करें। धन्यवाद।

मिर्जा गालिब से लेकर बॉलीवुड के कई अभिनेता इस 200 साल पुराने दशहरी आम के पेड़ को देखने पहुँचे हैं

मिर्जा गालिब से लेकर बॉलीवुड के कई अभिनेता इस 200 साल पुराने दशहरी आम के पेड़ को देखने पहुँचे हैं

पुरे विश्व में स्वयं की भीनी-सोंधी खुशबू एवं मीठे स्वाद की वजह से प्रसिद्ध दशहरी आम की खोज 200 वर्ष पूर्व ही हुई थी। लखनऊ के समीप एक गांव में आज भी दशहरी आम का प्रथम पेड़ उपस्थित है साथ बेहद प्रसिद्ध भी है। आम तौर पर लोग गर्मी के मौसम की वजह से काफी परेशान ही रहते हैं। परंतु, एक ऐसा फल है, जिससे गर्मियों का मजा दोगुना कर देती हैं। उस फल का नाम है आम जिसको सभी फलों का राजा बोला जाता है। जी हां, भारत में आम की बागवानी बड़े स्तर पर की जाती है। भारत की मिट्टी में आम की हजारों किस्मों के फल स्वाद लेने को उपस्थित हैं। लेकिन यदि हम देसी आम की बात करें तो इसकी तरह स्वादिष्ट फल पूरे विश्व में कहीं नहीं मिल पाएगा। सभी लोगों की जुबान पर दशहरी आम का खूब चस्का चढ़ा हुआ है। यूपी में ही दशहरी आमों की पैदावार होती है। बतादें कि केवल यहीं नहीं अन्य देशों में भी इस किस्म के आमों का निर्यात किया जाता है। साथ ही, आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि दशहरी आम का नामकरण एक गांव के नाम के आधार पर हुआ था।

इस आम का नाम दशहरी आम क्यों रखा गया था

यूपी के लखनऊ के समीप काकोरी में यह दशहरी गांव मौजूद है। ऐसा कहा जाता है, कि दशहरी गांव के 200 वर्ष प्राचीन इस वृक्ष से सर्वप्रथम दशहरी आम प्राप्त हुआ था। ग्रामीणों से मिलकर इस आम का नामकरण गांव दशहरी के नाम पर हुआ था। वर्तमान में 200 वर्ष उपरांत भी ना तो इस दशहरी आम के स्वाद में कोई बदलाव आया है और ना ही वो पेड़, जिससे विश्व का प्रथम दशहरी आम प्राप्त हुआ था। ये भी पढ़े: नीलम आम की विशेषताएं (Neelam Mango information in Hindi)

इस पेड़ के आम आखिर क्यों नहीं बेचे जाते

फिलहाल, दशहरी आम लखनऊ की शान और पहचान बन चुका है। देश के साथ-साथ विदेशी लोग भी इसका स्वाद चखते हैं। हर एक वृक्ष द्वारा काफी टन फलों की पैदावार हांसिल होती है। परंतु, विश्व का पहला दशहरी आम देने वाला पेड़ अपने आप में भिन्न है। वर्तमान में 200 वर्ष उपरांत भी यह वृक्ष भली-भांति अपनी जगह पर स्थिर है। आम के सीजन की दस्तक आते ही इस बुजुर्ग वृक्ष फलों के गुच्छे लद जाते हैं। परंतु, तेवर ही कुछ हटकर है, कि इस वृक्ष का एक भी फल विक्रय नहीं किया जाता है। मीडिया खबरों के मुताबिक, दशहरी गांव में इस आम के पेड़ को नवाब मोहम्मद अंसार अली ने रोपा था और आज भी उन्हीं के परिवारीजन इस पेड़ पर स्वामित्व का हक रखते हैं। इसी परिवार को पेड़ के सारे आम भेज दिए जाते हैं।

दशहरी आम कैसे पहुँचा मलीहाबाद

दशहरी गांव के लोगों का कहना है, कि बहुत वर्ष पूर्व इस दशहरी आम की टहनी को ग्रामीणों से छिपाकर मलीहाबाद ले जाया गया। जब से ही दशहरी आम मलीहाबादी आम के नाम से प्रसिद्ध हो गया था। ग्रामीणों की श्रद्धा को देखकर आप भी दंग रह जाएंगे। वह इसको एक चमत्कारी वृक्ष मानते हैं। ग्रामीणों के अनुसार, कुछ वर्ष पूर्व यह वृक्ष पूर्णतयः सूख गया था। समस्त पत्तियां पूरी तरह झड़ गई थीं। परंतु, वर्तमान में सीजन आते ही 200 साल पुराना यह वृक्ष आम से लद जाता है।

मिर्जा गालिब भी इस दशहरी आम के मुरीद रहे हैं

जानकारी के लिए बतादें, कि दशहरी गांव फिलहाल मलीहाबाद क्षेत्र के अंतर्गत आता है। मलीहाबाद के लोगों का कहना है, कि कभी मिर्जा गालिब भी कोलकाता से दिल्ली की यात्रा किया करते थे। तब मलीहाबादी आम का स्वाद अवश्य चखा करते थे। वर्तमान में भी बहुत से सेलेब्रिटी दशहरी आम को बेहद पसंद करते हैं। दशहरी गांव के लोगों का कहना है, कि भारतीय फिल्म जगत के बहुत से अभिनेता इस वृक्ष को देखने गांव आ चुके हैं। दूसरे गांव से भी लोग इस वृक्ष को देखने पहुँचते हैं। इसकी छांव के नीचे बैठकर ठंडी हवा का आंनद लेते हैं। सिर्फ इतना ही नही लोग इस पेड़ की यादों को तस्वीरों में कैद करके ले जाते हैं।
फलों का राजा कहलाने वाले आम को बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से लाखों का हुआ नुकसान

फलों का राजा कहलाने वाले आम को बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से लाखों का हुआ नुकसान

जैसा कि हम जानते हैं, कि किसानों की जिंदगी कठिनाइयों और समस्याओं से भरी रहती है। कभी प्राकृतिक आपदा तो कभी फसल का समुचित मूल्य ना मिल पाना। इतना ही नहीं मौसमिक अनियमितता के चलते किसानों की फसल कीट एवं रोगों की भी काफी हद तक ग्रसित होने की आशंका रहती है। बेमौसम बारिश एवं ओलावृष्टि की मार पड़ रही है। उत्तर प्रदेश एवं ओड़िशा सहित बहुत सारे राज्यों में बारिश की वजह से किसानों की आम की फसलें काफी हद तक चौपट हो चुकी है। बेमौसम बरसात ने किसान भाइयों की फसल को काफी हद तक हानि पहुंचाई है। किसानों का लाखों का नुकसान होने के चलते किसान बेहद दुखी दिखाई दे रहे हैं। वर्तमान में राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश से लेकर बाकी राज्यों में बारिश की वजह से गेहूं, सरसों की फसल को नुकसान हुआ था। परंतु, सिर्फ अनाज एवं सब्जियां ही नहीं, फलों को भी मोटा नुकसान हुआ है। भारत के विभिन्न राज्यों में बेमौसम बारिश के साथ ओलावृष्टि से आम काफी क्षतिग्रस्त हुआ है। किसान प्रदेश सरकार से मुआवजे की गुहार कर रहे हैं।

उत्तर प्रदेश में भी आम के बागों पर काफी बुरा असर पड़ा है

उत्तर प्रदेश के चित्रकूट में आम के बागों पर बारिश के साथ ओलावृष्टि का दुष्प्रभाव देखने को मिल रहा है। कृषि विशेषज्ञों का कहना है, कि इस मौसम में चित्रकूट में आम के पेड़ों पर बौर दिखाई देने लगती थी। हालाँकि, परिवर्तित एवं खराब हुए मौसम के चलते आम के पेड़ों से बौर ही छिन सी गई है। बेमौसम बारिश की वजह जो नमी उत्पन्न हुई है। इससे आम के फल में रोग भी आने लग गया है। स्थानीय किसानों का कहना है, कि बेमौसम बारिश की वजह 4 से 5 लाख रुपये की हानि हुई है।

ओड़िशा में भी आम की फसल चौपट हो गई है

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि ओड़िशा में भी बारिश का प्रभाव आम पर देखने को मिल रहा है। ओडिशा के अंदर पूर्व में हुई बेमौसम बारिश एवं हाल ही में हुई अचानक तापमान में वृद्धि की वजह से आम की पैदावार काफी बुरी तरह प्रभावित हुई है। प्रदेश के कोरापुट जनपद में 70 प्रतिशत तक आम की फसल खराब हो गयी है। व्यापारी प्रदेश की खपत पूर्णतय सुनिश्चित करने के लिए अन्य राज्यों से आम मंगा रहे हैं। सेमिलीगुडा, लक्ष्मीपुर, कुंद्रा, दसमंतपुर, जेपोर और बोरिगम्मा क्षेत्रों में भी आम की फसल काफी ज्यादा प्रभावित हुई है। व्यापारियों ने बताया है, कि इस वर्ष प्रदेश में कम खपत का अंदाजा है। इसी वजह से आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल और छत्तीसगढ़ से भी व्यापारी आम खरीद रहे हैं। ये भी पढ़े: अल्फांसो आम की पैदावार में आई काफी गिरावट, आम उत्पादक किसान मांग रहे मुआवजा

बेमौसम बारिश के साथ हुई ओलावृष्टि ने किसान की उम्मीदों पर पानी फेर दिया

विगत कई वर्षों से किसानों को मौसमिक मार की वजह से काफी नुकसान वहन करना पड़ रहा है। इस संबंध में किसानों का कहना है, कि इस बार उन्हें अच्छी फसल उपज की संभावना थी। लेकिन बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि की वजह से किसानों की उमीदों पर पानी फिर गया है। फसलों को कुछ कच्चा काटा जा सकता है। लेकिन, आम की भौर का किसान कुछ कर भी नहीं सकते हैं। ऐसी स्थिति में किसानों की हुई हानि की भरपाई नहीं हो सकेगी।